भारतीय बैंकिंग व्यवस्था
* यूरोपीय प्रणाली पर आधारित देश में पहला बैंक १७७० में बैंक ऑफ़  हिंदुस्तान के नाम से खोला गया जो असफल रहा.

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सरकार के वित्तीय सहयोग से  १८०६ में बैंक ऑफ़ बंगाल के नाम से कोलकाता में प्रेसिडेंसी बैंक की स्थापना की गई..

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पूर्ण रूप से पहला भारतीय बैंक "पंजाब नेशनल बैंक" था जिसकी स्थापना १८९४ में की गई.
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१९२१ में कोलकाता, मद्रास , और बम्बई के प्रेसिडेंसी बैंकों को मिलकर "इम्पिरिअल बैंक ऑफ़ इंडिया" की स्थापना की गयी जिसे १९५५ से "भारतीय स्टेट बैंक" कहा जाता है.

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१९३५ में एक अधिनियम के द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया का गठन किया गया.यह भारत का केंद्रीय बैंक है  जिसका राष्ट्रीयकरण १ जनवरी १९४९ को किया गया. रिज़र्व बैंक का मुख्यालय मुंबई में है.

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जुलाई १९६९ में भारत के १४ राष्ट्रीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया और पुनः  अप्रेल १९८० को ६ बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया लेकिन १९९३ में न्यू बैंक ऑफ़ इंडिया का विलय पंजाब नेशनल बैंक में होने से वर्तमान में कुल राष्ट्रीयकृत बैंकों के संख्या १९ है.

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बैंकिंग प्रणाली में सुधार हेतु १९९१ में नरसिम्हन समिति का गठन किया गया था. जिसने अपनी अनुशंसा में कहा की भारत के कम से कम ३ बैंकों को वैश्विक स्तर पर पहुचाने का प्रयास करना चाहिए.

बेसेल-II मानक बैंकिंग और वित्तीय संस्थायों को अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप देने से सम्बंधित है. इनका निर्धारण स्विटजरलैंड के बेसेल नामक स्थान में किया गया था.

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बैंकों के ग्राहकों के समस्यायों के समाधान के लिए रिज़र्व बैंक ने जून १९९५ से बैंकिंग लोकपाल की व्यवस्था की है जिसके तहत ग्राहक बैंक से सम्बंधित समस्या / शिकायत दर्ज करा सकता है.
* भारत में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना २ अक्टूबर  १९७५ से किया गया जो दूर दराज क्षेत्रो में बैंकिंग गतिविधिया संचालित करते है.