भारत
में अंतरिक्ष प्रोद्योगिकी
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भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम का प्रारंभ १९६२ में भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान समिति के गठन से हुआ |
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) कि स्थापना १९६९ को हुई |
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एंट्रिक्स (१९८२ में स्थापित) इसरो कि व्यावसायिक इकाई है जो भारत कि अंतरिक्ष क्षमताओं के
विपणन का कार्य करने
वाली केन्द्रीय एजेंसी है |
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वर्ष १९७२ अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग के गठन से शोध कार्यों को गति मिली |
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१९ अप्रैल १९७५ को भारत के प्रथम उपग्रह “आर्यभट्ट” का प्रक्षेपण करभारत विश्व का ११वाँ देश बना |
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भारत द्वारा भास्कर-१ उपग्रह का प्रक्षेपण “पृथ्वी के सर्वेक्षण” के लिए१९७९ में किया गया |
- · उपग्रह प्रक्षेपण के मूल उद्देश्य १) दूर संवेदन का विकास करना २)संचार व्यवस्था को जन सामान्य के लिए सुलभ बनाना |
- · भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (INSAT) एक बहुउद्देशीय तथा बहुप्रयोजनीय उपग्रह प्रणाली है जिसका उपयोग मुख्यतः
घरेलु दूरसंचार, मौसम कि
जानकारी, आकाशवाणी, और दूरदर्शन के प्रसारण के लिए किया जाता है |
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INSAT श्रेणी
का प्रथम उपग्रह इनसैट-१ए का प्रक्षेपण अप्रैल १९८२ को अमरीका के डेल्टा यान
द्वारा किया गया |
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अप्रैल १९८४ को भारत कि ओर से चाँद पर जाने वाले प्रथम व्यक्ति“स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा” थे |
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उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित करने के लिए प्रक्षेपणयानों का
प्रयोग होता है | भारत में सर्वप्रथम एस.एल.वी-३ प्रक्षेपणयान का
विकास हुआ जिसके माध्यम से वर्ष १९८० को रोहणी
उपग्रह प्रक्षेपित किया | वर्तमान में जी.एस.एल.वी और पी.एस.एल.वी प्रक्षेपणयानों के
विभिन्न संस्करण
कार्यरत है |
- · क्रायोजनिक इंजन : अतिनिम्न तापमान पर भरे गए प्रणोदक (ईंधन) का उपयोग करने वाले इंजन को
क्रायोजनिक इंजन कहा जाता है | स्वदेशी
तकनीक से विकसित प्रथम क्रायोजनिक इंजन का परिक्षण फरवरी २००२ में किया गया |
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सुदूर संवेदन तकनीक: वैज्ञानिक उपागमों का ऐसा व्यवस्थित समूह जिसमे
किसी वस्तु को स्पर्श किये बिना विकीर्णन तकनीक द्वारा पृथ्वी कि सतह एवं सतह के
भीतर की विश्वसनीय भौगोलिक जानकारी एकत्रित कि जाती है |
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मैटसेट (कल्पना-१) उपग्रह का प्रक्षेपण पी.एस.एल.वी.सी-४ यान द्वारा मौसम के पर्यवेक्षण
के लिए वर्ष २००२ में किया |
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रिसोर्ससेट–१: पी.एस.एल.वी.सी५ अंतरिक्षयान द्वारा दूर
संवेदन के क्षेत्र में रिसोर्ससेट उपग्रह भेजा गया |
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एडुसैट : जनवरी
२००४ को जी.एस.एल.वी यान से प्रक्षेपित इस उपग्रह द्वारा शैक्षिक विकास को बढ़ावा
दिया गया |
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कार्टोसैट : पी.एस.एल.वी-सी६
द्वारा मई २००५ में प्रक्षेपित इस उपग्रह का मुख्य उद्देश्य सुदूर संवेदन द्वारा
प्राप्त चित्रों से मानचित्र का निर्माण करना था |
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चंद्रयान-१ : अक्टूबर २००८ में पी.एस.एल.वी- सी११ द्वारा चन्द्रमा में
प्रक्षेपित इस उपग्रह से चन्द्रमा के तल पर भविष्य कि संभावनाओं को बल मिला |
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ओशनसैट : समुद्री
अनुसन्धान के लियर प्रक्षेपित इस उपग्रह को सितम्बर २००९ में स्थापित किया गया |
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मिशन आदित्य : इस अभियान के अंतर्गत वर्ष 2012 तक सूर्य के कोरोना के बारे में अध्ययन
करने के लिए एक स्पेस क्राफ्ट भेजा जाएगा ।
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गोशे : यूरोपीय एजेंसी द्वारा मार्च २००९ में
प्रक्षेपित इस उपग्रह का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के चक्कर लगाते हुए उसके
गुरुत्वाकर्षण पर बारिक नजर रखना था |
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